Satyavan Samachar

औरैया-: चार्जशीट लगाने के नाम पर दारोगा और सिपाही ने ली रिश्वत, 

सुधीर सिंह ब्यूरो चीफ औरैया:

औरैया-: चार्जशीट लगाने के नाम पर दारोगा और सिपाही ने ली रिश्वत, 

ईमानदार पुलिस अधीक्षक महोदया की साख पर बट्टा लगाते नजर आ रहे हैं उन्हीं के दरोग़ा सिपाही*

घूसखोरी का वीडियो/आडियो अब सोशल मीडिया पर हो रहा है वायरल

 Viral Video: उत्तर प्रदेश के औरैया में घूसखोरी का वीडियो/आडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. यहां दो दारोगा और कांस्टेबल चार्ज शीट दाखिल करने के नाम पर रुपए की रिश्वत लेते हुए दिखाई दे रहे हैं. 

10 माह पूर्व पीड़ित वादी की तहरीर पर पुलिस अधीक्षक महोदया ने स्वयं संज्ञान लेकर लिखाया था मुकदमा* 

कैसे शुरू हुआ रिश्वतखोरी का खेल.. ????????

एक मामले में क्राइम ब्रांच से विवेचना समाप्त कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल होनी थी, क्राइम ब्रांच के सिपाही ने वादी को फोन किया कि आपकी चार्जशीट कोर्ट में दाखिल करनी है, मुलाकात कर ले, मिलने के दौरान वादी ने सिपाही ने रिश्वत की डिमांड की, वादी से रिश्वत लेते हुए सिपाही ने कहा अब एक दारोगा जी है,उनसे मिल लो,वादी दरोग़ा जी के पास गया, दरोग़ा जी ने मामला हाईप्रोफाइल बताकर मामले टालने लगे, वादी ने रिक्वेस्ट किया साहब भेज दिया, दरोग़ा जी बोले ऐसे कैसे भेज दें, यहा महिनों ऐसी ही चार्जशीट फाइल पड़ी रहती हैं,कुछ खर्च करो तो बताएं वादी ने सहमति जताई, दरोग़ा जी ने 5000/ रूपये की डिमांड की,किसी तरह वादी ने हाथ पैर जोड़ कर 4000/ रूपए दरोग़ा जी को दे दिये, फिर दरोग़ा जी ने कहा अब आज तुम्हारी चार्जशीट हम एक दूसरे दरोग़ा जी को सौंप देंगे कल उनसे मुलाकात कर लेना और उनको अलग से खर्चा देना पड़ेगा, वादी दुसरे दिन फिर दुसरे दरोग़ा जी से मिला उनसे मिन्नत की उन दरोग़ा जी ने भी रिश्वत ली और कहा आज हम आपकी चार्जशीट दाखिल कर देंगे,अब आपको कही नही भटकना पड़ेगा ,पर हम चार्जशीट दाखिल करेंगे वहा का खर्चा आप को स्वम वही चलकर देना पड़ेगा,

वादी दरोग़ा जी के साथ गया और चार्जशीट दाखिल की फिर रिश्वत दी, इस प्रकार वादी को अपने मुकदमे की केस डायरी दाखिल कराने के लिए हर मोड़ पर रिश्वत के तौर पर चढ़ौती चढ़ानी पड़ी, 

???? ईमानदार पुलिस अधीक्षक महोदया ने इस प्रकरण को स्वयं संज्ञान में लेकर कई विभागों से निष्पक्ष जांच कराकर पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए कोई कसर नही छोड़ी…

पुलिस अधीक्षक महोदया ने पीड़ित की तहरीर पर मुकदमा दर्ज करने के बाद से जांच कोतवाली पुलिस, सर्विलांस, साइबर, क्राइम ब्रांच,तक से जांच कराकर निष्पक्ष तरीके से स्वयं संज्ञान लेते हुए उक्त मुकदमे की विवेचना तेज तर्रार अधिकारी से कराने के लिए पुलिस अधीक्षक महोदया ने कई बार जांच को ट्रांसफर करना पड़ा, 

क्या है पूरा प्रकरण*???????? 

????क्यो कि मामला एक बैंक के अधिकारी पीएनबी बैंक प्रबंधक से जुड़ा था,जिसने वादी को प्रलोभन देकर करीब 39 लाख की धोखाधड़ी कर ली थी,और बैक मैनेजर ने वादी के नाम 10 लाख लोन भी कर दिया था, वादी ने बैक एकाउंट/क्रेडिट कार्ड/ एवं अपनी एफडी को शीशी कर क़रीब 39 लाख रुपए बैक मैनेजर के साथ एक पार्टनरशिप में ओमिशा हास्पटिल बनाने में खर्च कर दिए थें, हास्पटिल बनकर तैयार हुआ , इसके बाद बैंक मैनेजर ने वादी को हास्पटिल से हटाने के लिए साजिश रच और हास्पटिल से निकाल दिया, और कोई वादी के द्वारा खर्च किया गया पैसा भी नहीं दिया, पीड़ित वादी दर दर अधिकारियों की चौखट पर गुहार लगाता रहा,कभी कोतवाली कभी सीओ सिटी,कभी अपर पुलिस अधीक्षक, कार्यालय उसकी एक ना सुनी गई, और ना कोई कार्रवाई की गई, इधर बैक मैनेजर ने अपने पद दुरूपयोग कर पीड़ित वादी के बैंक एकाउंट एनपीए कर दिये, सारे बैक एकाउंट खाली हो गए उपर एनपीए भी हो गये, पीड़ित वादी का परिवार सदमे में आ गया, इधर क्रेडिट कार्ड का ब्याज 17% और पीएनबी बैक मैनेजर द्रारा किया गया लोन, पीड़ित के आगे अधेरा छा गया, कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें, पीड़ित वादी को परिवार सहित आत्महत्या के आलावा कुछ नहीं सूझ रहा था, 

???? उसी समय एक बार पीड़ित ने मन बनाया पुलिस अधीक्षक महोदया चारू निगम से मिलने का जनवरी का महीना भीषण ठंड रात्रि 10 बजे पीड़ित अपने परिवार के साथ पहुंचा पुलिस अधीक्षक कैम्प कार्यालय जहा कुछ देर इंतज़ार के बाद पुलिस अधीक्षक महोदया से मुलाकात हुई, पीड़ित ने अपनी बात को अच्छे से कप्तान महोदया से बयां की कप्तान महोदया ने मामले को गंभीरता से संज्ञान में लिया, और तत्काल दुसरे दिन यानी सात 7 जनवरी को पीड़ित की तहरीर पर पीएनबी बैंक शाखा प्रबंधक दिबियापुर सहित तीन लोगों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत करने का आदेश दिया, मुकदमा दर्ज होने पर बैंक शाखा प्रबंधक सकते में गया और अपने आपको फंसता देख 11 जनवरी 2023 को पीड़ित के लोन एकाउंट में शाखा प्रबंधक ने अपने ओमिशा हास्पटिल के बैंक एकाउंट से 10 लाख से अधिक रुपए मय ब्याज के ट्रांसफर कर पीड़ित का पीएनबी बैंक का लोन भर दिया,

???? जिसकी जानकारी पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक महोदया को तत्काल अवगत कराई, पुलिस अधीक्षक महोदया ने पीड़ित के मुकदमे की विवेचना कोतवाली पुलिस को सौंपी, और साइबर, एवं सर्विलांस को भी इसमें लगा दिया, साइबर की रिपोर्ट कोतवाली पुलिस की रिपोर्ट में कुछ अंतर देख तत्काल पुलिस अधीक्षक महोदया ने क्राइम ब्रांच को जांच सौंप दी, क्राइम ब्रांच से अलग अलग तीन अधिकारियों ने विवेचना की , विवेचना के दौरान बैंक शाखा प्रबंधक ने वादी से समझौते का दबाव भी बनाया, और आधा रूपये देने के लिए विवेचना अधिकारी से बैठक करने की अनुमति मांगी, बैंक शाखा प्रबंधक ने कोतवाली बिधूना में वादी से मुलाकात की ,बैक मैनेजर ने कहा तुम्हारी शिकायत दर्ज होने से मेरे उपर बैंकिंग लोकपाल, आरबीआई,की जांच बैठ गई है जिससे मुझे दिबियापुर शाखा से हटाकर लखनऊ अटैक कर दिया है और मुझे टर्मिनेट कर दिया गया है जिससे मुझे नौकरी का आधा वेतन मिल रहा है, मै बेहद परेशान हो गया हूं मुझे माफ़ कर दो, जो तुम्हारा पैसा लगा है उसका ले लो और समझौता कर लो, वरना मै बर्बाद हो जाऊंगा, पर किसी तरह दोनो की बात नही बनी,और मामला टल गया विवेचना अधिकारी ने विवेचना कर के आरोप पत्र दाखिल कर चार्जशीट जून माह में कम्पलीट कर दी, 

इस बात की जानकारी बैंक शाखा प्रबंधक को हुई तो उसने सम्बंधित ओमिशा हास्पटिल से धीरे-धीरे समान निकालना शुरू कर दिया जिसकी जानकारी पीड़ित वादी को हुई तो उसने आपत्ति जताई और इसकी शिकायत मौखिक रूप से स्थानीय पुलिस से की, पर पुलिस द्वारा यह कहा गया कि आप इसके लिए कोर्ट से आदेश लो या स्टे ले लो , जब इस सम्बन्ध में पीड़ित ने वकील से सम्पर्क किया तो वकील ने बताया कि आपके मुकदमे की चार्जशीट अभी दाखिल नही हुई है, कैसे मदद करे, पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक महोदया से दिनांक 19/7/2023 लिखित शिकायतीपत्र देकर केस डायरी को कोर्ट में दाखिल के लिए सम्बंधित अधिकारी को आदेश करें ताकि कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हो जाये तो बैंक शाखा प्रबंधक द्वारा जो ओमिशा हास्पटिल से समान धीरे धीरे निकाला जा रहा है उसपर कोर्ट के माध्यम से रोक लग सके, 

पीड़ित पिछले 3 माह से दर दर भटकता रहा, इधर बैंक शाखा प्रबंधक धीरे धीरे हास्पटिल से समान निकालकर चलता बना, 

जब पीड़ित ने जाना समझा कि यह पुलिसकर्मी/दरोग़ा कप्तान महोदया के आदेश को दरकिनार कर कहते हैं कि बिना पैसे दिये यहा कुछ नही होगा,ऐसे ही माहिनो भटकते रहोगे,तब पीड़ित वादी ने अलग अलग तीन दरोग़ा एवं सिपाही को रिश्वत के रुप में चढ़ौती चढाई तब जाकर कोर्ट में पीड़ित वादी की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल हुई, तबतक बैंक शाखा प्रबंधक ओमिशा हास्पटिल को विक्रय कर के औरैया शहर से अलविदा कर चुका था, 

भ्रष्टाचार के भेंट चढा यह सिस्टम,

पुलिस अधीक्षक महोदया के आदेश को भी दर किनार कर देता है। 

Prashant Yadav
Author: Prashant Yadav

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