कन्नौज।अगर आप इत्र नगरी कन्नौज में इत्र की खुशबू के लिए यहां आ रहे हैं और कहीं घूमने का मन बना रहे हैं तो सर्दियों के मौसम में कन्नौज में लाख बहोसी अभयारण्य पक्षी विहार जाना बिल्कुल भी ना भूलें।यहां पर पर्यटन के साथ-साथ आपको दुर्लभ पक्षियों का दीदार होगा।लाख बहोसी अभयारण्य पक्षी विहार कन्नौज जिले के लाखबसोही गांव के पास है। लगभग 1989 में स्थापित यह भारत में सबसे बड़ा पक्षी अभयारण्यों में से एक है, जो 80 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।अभयारण्य पक्षी वार्ताकारों और प्रकृति के प्रति उत्साही लोगों के लिए एक प्रसिद्ध जगह है।विभिन्न प्रकार के स्थानीय और प्रवासी/विदेशी पक्षी के अलावा, अभयारण्य भी सियाल, नीली बुल, मोंगोज़, मछली पकड़ने वाली बिल्ली, बंदरों और अन्य जानवरों का एक घर है।
लाख और बहोसी वास्तव में दो झीलों का नाम हैं।दोनों झील बगल-बगल हैं।लाख बहोसी पक्षी विहार कन्नौज मुख्यालय से लगभग 38 किलोमीटर दूर उमर्दा क्षेत्र में लाख बहोसी गांव के पास बना हुआ है।लाख बहोसी पहुंचने के लिए आप तिर्वा मार्ग होते हुए लाख बहोसी पक्षी विहार आसानी से पहुंच सकते हैं।यहां तक पहुंचाने का रास्ता भी बहुत सुगम और सरल है। 80 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य की सीमाएं 5 गांवों के नाम लाख, बहोसी, बरौली, बरियामऊ और पूरेराय से लगती हैं।ग्रे लेग हंस, बार हेडेड गूस, पिनटेल, सामान्य चैती या यूरेशियन चैती, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कबूतर, गढ़वाल, सामान्य कूट, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीबे, जंगली बत्तख़, सफेद गल, महान सफेद पेलिकन वह अन्य पक्षी यहां मिलते हैं।
बता दें कि लाख बहोसी पक्षी विहार अभयारण्य में हर साल लगभग 20,000 की संख्या में यहां पर प्रवासी पक्षी आते हैं और सर्दियों के पूरे मौसम में यहां रुकते हैं।इनके लिए हर व्यवस्था का पहले से ही इंतजाम रखा जाता है।साफ-सफाई पानी की सफाई सहित अन्य खाने की चीजों का भी ध्यान रखा जाता है।मौसम के हिसाब से ही यह पक्षी रुकते हैं अगर अधिक गर्मी पड़ती है तो यह पक्षी यहां से चले जाते हैं।