पेड़ों को मोहब्बत भरी नजर से देखो तो धूप भी चाँदनी लगेगी…
दीदारगंज/आजमगढ़ जिन वृक्षों की छाया में बैठकर लोग विश्राम करते थे,राही सुस्ताते थे,हम तरह-तरह के खेल खेलते थे और परिन्दे अपने घोंसले बनाते थे, फल-फूलों से लदे-सजे वे वृक्ष अब धरती पर कम ही बचे। हमारी लालच ने उन्हें काट डाला। महकते आमों के वृक्ष कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आते। आम की बात छोड़िये