सुधिर सिंह राजपूत औरैया..
औरैया में प्रशासनिक तानाशाही का सबसे बड़ा उदाहरण मंदिर ट्रस्ट सरकारी अधिकारी अपनी पर आ जाएं, उस पर भी जब प्रश्न चिन्ह ना लगे,तो वह कुछ भी कर सकते। उदाहरण देवकली मंदिर ट्रस्ट ,सरकारी अधिकारी इसमें पदेन अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष ,कोषाध्यक्ष हैं। विडंबना देखिए मीडिया समाजसेवी राजनेता चुप्पी साधे , कोई आवाज नहीं उठा रहा, आय व्यय का हिसाब नहीं मांग रहा। हिंदू मंदिर पर प्रशासनिक कब्जे के विरोध के स्वर दवे हुए , कारण क्या , क्या अन्य धर्मों के आस्था के प्रतीक स्थान का सरकारीकरण करेंगें ,यह अधिकारी ,जानेंगे आज। साथ ही जानेंगे की मंदिर ट्रस्ट में सरकारी अधिकारियों को पदेन अध्यक्ष नियुक्त करना उचित या अनुचित! अगर उचित तो राम मंदिर ट्रस्ट का अध्यक्ष क्यों नहीं बना सरकारी अधिकारी, सोमनाथ मंदिर का अध्यक्ष क्यों नहीं सरकारी अधिकारी, केवल औरैया के लिए बना दिए गए नए नियम या कह लीजिए की कोई विरोध करने वाला नहीं, इसलिए मनमानी पर उतारू सरकारी अधिकारी।
जनपद में हिंदू आस्था के केंद्र देवकली पर अरसे से एक परिवार का कब्जा था। राजनीतिक रसुखदार परिवार के हत्याकांड में नामजद, जेल जाने के बाद ,जिला प्रशासन ने परिवार के कब्जे की अवैध संपत्तियां मुक्त कराई , देवकली मंदिर भी मुक्त कराया। आम जनमानस ने प्रशासन के कदम को सही बताया ,सराहना की। जिला प्रशासन ने मंदिर की व्यवस्था संभालने के लिए ट्रस्ट बनाने की घोषणा की,ट्रस्ट बनाया गया,। अब तक सब ठीक था,यहीं से गड़बड़झाले की शुरुआत हुई। जिला प्रशासन ने नई व्यवस्था बना दी, ट्रस्ट में अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष पद सरकारी अधिकारियों के लिए रिजर्व कर दिए, पब्लिक डोमेन से कोई नहीं लिया । ट्रस्ट में सचिव ,कोषाध्यक्ष पद तो सरकारी अधिकारी को जा सकता था ,लेकिन अध्यक्ष पद पर, सरकारी अधिकारी का रिजर्वेशन समझ से परे , अध्यक्ष तो पब्लिक डोमेन से होना चाहिए, सीधा पब्लिक से ना हो, तो निर्वाचित प्रक्रिया से चुनकर आया व्यक्ति हो, या फिर निकाय का निर्वाचित चेयरमैन हो । जिला प्रशासन ने ट्रस्ट में पब्लिक का कोई हस्तक्षेप नहीं रखा, ना ही हिंदू धर्माम्बलंबियों की आस्था का सम्मान रखा, ट्रस्ट को पूरी तरह सरकारी अधिकारियों के कब्जे में कर दिया, आय व्यय की पारदर्शिता का कोई सिस्टम नहीं बनाया। यह जिला प्रशासन की तानाशाही नहीं तो और क्या । जिला प्रशासन ने तानाशाही रवैया अपनाते समय यह ना देखा, की हाल में अयोध्या में श्री राम मंदिर ट्रस्ट बनाया गया , ट्रस्ट में कोई सरकारी अधिकारी अध्यक्ष नहीं बना अध्यक्ष पब्लिक डोमेन से लिया गया, अध्यक्ष हिंदू धर्म का बनाया गया। आजादी के हाल बाद ,बनाए गए सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट को देखिए, ट्रस्ट में सरकारी अधिकारी अध्यक्ष नहीं, केंद्र और राज्य सरकार को तीन-तीन सदस्य नॉमिनेट करने का अधिकार है, नामिनेट सदस्य अध्यक्ष चुनते हैं, यह वैधानिक प्रक्रिया है। ट्रस्ट के ही प्रारूप में कार्य करने वाली सार्वजनिक संस्थाएं, निकाय, कोऑपरेटिव सोसाइटी का स्ट्रक्चर देखिए ,कहीं भी अध्यक्ष सरकारी अधिकारी नहीं होता, अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया है ,जिसमें पब्लिक डोमेन के व्यक्ति को ही अध्यक्ष चुना जाता है।
जिला प्रशासन की मनमानी,तानाशाही अभी भी जारी,मन्दिर ट्रस्ट के आय व्यय में पारदर्शिता नहीं,कब तक चलेगा यह ,विचारणीय।