Satyavan Samachar

मंच से जनता का अभिवादन करते सीएम आदित्यनाथ, सामने उपस्थित विशाल जनसमूह, दिबियापुर में बस को हरी झण्डी दिखाकर रवाना करते सांसद

छाया: आज
कई कयासों को हवा दे गया दिग्गजों को मंच पर जगह न देना

सांसदों, विधायक व जिलाध्यक्ष को मुख्यमंत्री के मंच से बोलने का मौका न मिलने से नयी सियासी चर्चाएं शुरू
औरैया 28 अक्टूबर। आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यहाँ तिरंगा मैदान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान जिस तरह से सत्तारूढ़ दल के दो पूर्व जिलाध्यक्षों और एक पूर्व राज्य मंत्री को मंच पर जगह नहीं मिली उसने जनता के बीच तमाम अटकलों को हवा दे दी है । कुछ लोग कहने लगे हैं कि इन नेताओं का या तो कद कम हो गया है या फिर विरादरी में इनका जनाधार खिसक गया है इसलिए पार्टी नेतृत्व उन्हें तवज्जो नहीं देना चाहता है या फिर मंच के कर्ताधर्ता पहले से ही इन लोगों को नीचा दिखाने के लिए रणनीति बना चुके थे। हकीकत कुछ भी हो लेकिन जिन नेताओं को मंच पर जगह नहीं मिली उनके समर्थकों में मायूसी के साथ नाराजगी साफ देखी जा रही है।दिबियापुर से विधायक रहे और अपनी बिरादरी के साथ सभी वर्गों में खासा प्रभाव रखने वाले पूर्व राज्य मंत्री लाखन सिंह राजपूत एडवोकेट का अपना एक कद है उसके बाद भी उन्हें मंच पर जगह न मिलना लोगों को नागवार ही नहीं गुजरा बल्कि उनके समाज के लोगों में इस पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, वहीं द्वय पूर्व जिलाध्यक्ष श्री राम मिश्र और श्रीकांत पाठक को भी मंच पर पहुंचने का अवसर नहीं मिल सका। इसकी वजह कुछ भी रही हो लेकिन लोगों ने इसका अर्थ अपने अंदाज से निकाला, कुछ ने तो यही कहा कि इन नेताओं का शायद पार्टी में या तो कद कम हो गया है या फिर इनका बिरादरी में जनाधार पार्टी नेतृत्व को लग नहीं रहा, अन्यथा इतने कद्दावर नेताओं को मंच पर जगह क्यों नहीं मिली। यह अलग बात है कि यह पार्टी के समर्पित सिपाही की दुहाई देकर कुछ भी कहने से बच रहे हों लेकिन उनका दर्द साफ समझ जा सकता है क्योंकि उनके समर्थकों में नाराजगी और मायूसी है कि उनके नेताओं को मंच पर जगह क्यों नहीं मिली। इसी तरह से मंच पर इटावा और कन्नौज के सांसदों को भी बोलने का अवसर नहीं मिल सका यहाँ तक कि जिलाध्यक्ष भी इससे बंचित रहे, यह भी अपने आपमें महत्वपूर्ण सवाल है कि दोनों दिग्गज सांसदों एवं जिलाध्यक्ष को मुख्यमंत्री के सामने बोलने का अवसर क्यों नहीं दिया गया, क्या यह सब कुछ पहले से प्लानिंग थी या फिर कोई और वजह। फिलहाल इतना तय है कि मंच पर आज जिस तरह की व्यवस्था रही उसने कई को मायूस ही नहीं किया बल्कि उन नेताओं के समर्थकों में काफी नाराजगी साफ तौर से देखी जा रही है। इस कार्यक्रम को लेकर नेताओं में भले ही उत्साह रहा हो लेकिन कार्यक्रम पूरी तरह से प्रशासनिक व्यवस्था पर आधारित था इसीलिए शायद बड़े नेताओं को मंच पर कोई तवज्जो नहीं मिला । इसकी वजह भी साफ है कि जब कार्यक्रम प्रशासनिक व्यवस्था से ही सफल हो सकता है तो जमीनी कार्यकर्ता के सहयोग की आवश्यकता भी क्यों महसूस की जाये। इस कार्यक्रम में एक बात और जो सामने आई उसमें जिले के सारे जनप्रतिथियों को बुलाने के बजाय केवल सत्तारूढ़ दल के ही जनप्रतिनिधियों को बुलाया गया इससे भी साफ हो गया कि कार्यक्रम तो केवल सरकारी नहीं बल्कि भाजपा का ही था । यह अलग बात है कि मंच पर तो भाजपा के भी कई कद्दावर नेताओं को तवज्जो नहीं मिला जिन्हें मायूस होना पड़ा।

अधूरे निर्माण वाली योजनाओं को भी लोकार्पित कर गए मुख्यमंत्री

जिन कार्यों का पहले ही प्रशासनिक अधिकारी कर चुके थे शिलान्यास उनकेे शिलान्यास भी सीएम के कर कमलों से करा दि
औरैया 28 अक्टूबर। आज यहां जिला मुख्यालय ककोर के तिरंगा मैदान में आयोजित जनसभा के दौरान मुख्यमंत्री ने तमाम योजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास के जिन शिलापट्ट को औपचारिक रूप से मान्यता दी है उनमें से अधिकांश योजनाओं का निर्माण या तो ग्राम पंचायत के माध्यम से कराया गया है या फिर अन्य माध्यम से हुआ है जिसमें कई का शिलान्यास तो जिले के प्रशासनिक अधिकारी कर चुके हैं या फिर किसी अन्य माध्यम से उनका उद्घाटन और शिलान्यास हो चुका है । ताज्जुब की बात है कि अभी कुछ ही दिन पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए बिधूना में बनने वाली सरकारी बिल्डिंग का शिलान्यास एक कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी श्रीमती नेहा प्रकाश ने स्वयं अपने अधिकारियों की उपस्थिति में किया था लेकिन आज जो सूची जारी की गई उसमें उसका भी शिलान्यास मुख्यमंत्री के करकमलों के द्वारा दर्शाया गया है। इसी तरह से तमाम विकास की ऐसी योजनाओं का लोकार्पण किया गया है जो अभी तक पूरी ही नहीं हो पाई हैं । जल जीवन मिशन के तहत जहां ग्राम पंचायतों में पानी की टंकियों का अधिकांश स्थानों पर निर्माण अभी तक अधूरा है फिर भी उन्हें पूरा दर्शाकर उद्घाटन दिखा दिया गया। जिले की बिधूना विधानसभा के बढिन ग्राम पंचायत में बनाये गई स्टेडियम का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो पाया है लेकिन उसके बाद भी उसका भी लोकार्पण कर दिया गया, धन्य है कागजी आंकड़ेबाजी तैयार करने वाले लोग । जिस तरह से लंबी योजनाओं की फेहरिस्त तैयार की गई है उसमें अधिकांश तो ऐसी योजनाएं हैं जिनका स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से लोकार्पण और शिलान्यास कराया जाना ज्यादा बेहतर रहता। ग्राम पंचायत में जो पंचायत भवन बनाए गए हैं उनका भी लोकार्पण माननीय मुख्यमंत्री के माध्यम से दर्शाया गया है, सवाल यह नहीं है कि सरकारी योजनाओं का मुख्यमंत्री जी ने उद्घाटन किया बल्कि महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिर सत्तारूढ़ दल के जनप्रतिनिधि क्या छोटे से शिलान्यास और उद्घाटन भी नहीं कर सकते तो उनका राजनैतिक महत्व क्या रह जाएगा । फिलहाल आज जो धनवर्षा के साथ विकास योजनाओं की सूची जारी की गई है उसमें अधिकांश योजनाएं या तो अधूरी है या फिर जिनका शिलान्यास किया गया है उनका शिलान्यास सत्तारूढ़ दल के कुछ जनप्रतिनिधियों या फिर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पूर्व में किया जा चुका है।। इससे भी ज्यादा ताज्जुब और आत्म चिंतन का विषय यह है कि बीते वर्ष जब मुख्यमंत्री जी औरैया आए थे तो उन्होंने बिधूना के नेत्र चिकित्सालय का भी लोकार्पण कर दिया था जहां आज भी ना तो स्टाफ है और ना जन सामान्य के लिए कोई सुविधा ही। क्या मुख्यमंत्री जी की घोषणाओं पर भी अमल करने की बजाय महज औपचारिकता ही दिखाई जाती है यह सवाल उठना लाजिमी है।

शुरू तो हो गया बस अड्डा लेकिन संकरे रास्तों से निकलेंगी बसें ?

दिबियापुर (औरैया) 28 अक्टूबर। शनिवार को उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ककोर के तिरंगा मैदार से दिबियापुर बस अड्डे का शुभारंभ किया, जिसके बाद इटावा लोकसभा सांसद राम शंकर कठेरिया ने हरी झंडी दिखाकर दिबियापुर से दिल्ली तक जाने वाली बस को रवाना किया। यहां बताते चले की दिबियापुर में बने बस अड्डे को पूर्व मंत्री एवं विधायक लाखन सिंह राजपूत ने शुभारंभ करवाया था। जो बनकर तैयार तो हो गया लेकिन बस अड्डे तक जाने के लिए रोड का निर्माण नहीं हो पाया। यहां सरकार और वन विभाग में सड़क निर्माण के लिए दस्तावेजों का पूर्ण न होना बताया गया है। जिससे हालत यह हो गई है कि बस अड्डे तक जाने के लिए लोगों को काफी परेशानियां उठानी पड़ेगी। यहां दोनों तरफ भारी-भारी गड्ढे एवं सिंचाई विभाग का नाला बना हुआ है। फफूद रोड से बस अड्डे तक जाने के लिए करीब 300 मी ग्राम पंचायत जमुआ में बस अड्डे का निर्माण करवाया गया है। जहां तक जाने के लिए बसों को 15 फुट चौड़ी जर्जर रोड से गुजरना पड़ेगा। इस रोड पर चौड़ीकरण ना होने के कारण दो बसों का गुजरना बहुत ही मुश्किल है और अगर दोनों बसों को विपरीत दिशा में गुजरने दिया गया तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है जिसके लिए जिला प्रशासन और सरकार जिम्मेदार होगी यहां सिंचाई विभाग का नाला और सड़क दोनों बराबर पर है और फफूंद रोड से बस आड्डे तक जाने वाली रोड जर्जर हालत है जिस पर सांसद राम शंकर कठेरिया ने चूक अधिकारियों से सड़क निर्माण के लिए कह चुके हैं लेकर कागजी कार्रवाई ना होने के कारण सड़क का निर्माण नहीं हो सका और गड्ढों में तब्दील सड़क पर बसो का गुजरना बहुत ही मुश्किल है। इस सड़क से गुजरने वाले कई गांव भी लगती है। जिसमें राहगीरों का आने-जाने में भी बड़ी परेशानी हो रही है। उसके बाद बसो का आवागमन होने से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इसी रोड पर ही वैदिक महाविद्यालय का मुख्य गेट है जिससे छात्र-छात्राएं भी गुजरते है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन और सरकार इस लिंक रोड को कब तक बनाकर तैयार करता है जिसे हादसे रोके जा सके।

मुख्यमंत्री कार्यक्रम को लेकर शिक्षक व कर्मचारी नेता रखे गये नजरब

अजीतमल (औरैया) 28 अक्टूबर। शनिवार को जिले के मुख्यालय ककोर में आयोजित मुख्यमंत्री योगी के कार्यक्रम को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। खुद आईजी प्रशांत कुमार एवं एसपी चारू निगम व्यवस्था संभालने में जुटे रहे। वहीं पुरानी पेंशन बहाली को लेकर आंदोलित शिक्षक नेता व रोडवेज कर्मचारी मोर्चा के पदाधिकारियों के घर पर पुलिस ने पहरा बैठा कर उन्हे उनके घरों में ही मुख्यमंत्री के रहने तक नजरबंद कर दिया गया। अजीतमल कस्बे के मोहल्ला गांधीनगर निवासी उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ संबद्ध अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष विपिन तिवारी के घर पर शुक्रवार की रात्रि से पुलिस ने पहरा बैठा दिया और मुख्यमंत्री कार्यक्रम आयोजित होने तक उन्हें नजर बंद रखा गया । तो वही बाबरपुर निवासी रोडवेज संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारी विशाल गुप्ता के आवास पर भी पुलिस का पहरा रहा और रोडवेज बसों के कस्बे के अंदर न आने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री जी से मिलने जाने से रोका गया । विशाल गुप्ता ने बताया की कस्बे की ये बहुत पुरानी मांग हे की रोडवेज बस अड्डा बना होने के बाबजूद बसे कस्बे के अंदर नही आती है लोकसभा चुनाव से पहले समस्या का निस्तारण करने की मोर्चा द्वारा मांग को गई हे इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री जी से मिलकर समस्या बताने के लिए आज उनके कार्यक्रम में जाने वाले थे लेकिन पुलिस ने पहरा बैठाकर उन्हें जाने नही दिया। प्रशासन ने मुख्यमंत्री के प्रोग्राम तक पहुंचने के लिए काफी लोगो को रोक कर रखा

सुधीर सिंह राजपूत औरैया ब्यूरो चीफ।।।

Prashant Yadav
Author: Prashant Yadav

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