सुधीर सिंह राजपूत
औरैया रिपोर्ट
यह स्थिति मोदी का विकल्प देने वाले इंडिया गठबंधन की है, शिष्टाचार छोड़िए भाषाई मर्यादाएं तार तार हो गई, पूर्व मुख्यमंत्री राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को चिरकुट तो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को अखिलेश विकलेश कह रहे। हाल इंडिया गठबंधन की दो सबसे बड़ी पार्टियों का है, जो आपस में लड़ने लगी, अब सशक्त भाजपा से कौन लड़ेगा, कौन देगा चुनौती प्रधानमंत्री मोदी को, यह प्रश्न काफी पीछे छूट गया। स्थिति ऐसी आई कैसे, कारण क्या रहा, यह जानने की कोशिश करेंगे।
अलग-अलग विचारधारा लेकिन परिवारवाद से ग्रस्त राष्ट्रीय, क्षेत्रीय पार्टियों ने लोकसभा चुनाव देखते हुए भाजपा( एनडीए )का विकल्प देने के लिए बड़ा गठबंधन तैयार किया, नाम दिया इंडिया। गठबंधन को सशक्त दिखाने के लिए अलग-अलग प्रदेशों की राजधानियों में सम्मेलन हुए।नेताओं ने भाषण दिए, भाजपा हराएंगे, नया प्रधानमंत्री बनाएंगे।फिर क्या प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए होड़ लग गई, कांग्रेस ने राहुल, सपा ने अखिलेश को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताया। बिहार से आवाज उठी नीतीश , पश्चिम बंगाल ममता दीदी को प्रधानमंत्री बनाने लगा।आप पार्टी ने कहा प्रधानमंत्री आम आदमी होना चाहिए, अरविंद केजरीवाल होने चाहिए। विवाद बढ़ने लगा ,दावों के लिए तर्क दिए जाने लगे, तब इन नेताओं को किसी ने समझाया कि प्रधानमंत्री पद तो दूर, पहले चुनाव जीत कर दिखाओ। नेताओं को समझ आ गया , बैठक हुई ,निष्कर्ष निकला प्रधानमंत्री कौन बनेगा ,चुनाव बाद तय कर लेंगे, अभी गठबंधन चुनाव की तैयारी करे,चुनाव लड़े, लोकसभा से पहले सेमीफाइनल माने जाने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करे। बातचीत लोकसभा चुनाव में सीट बटवारा की आई, अखिलेश भैया की पार्टी ने दरियादिली दिखाई, कह दिया की गठबंधन की पार्टियों को उत्तर प्रदेश में काफी सीटों पर चुनाव लड़ांएगे ,संख्या भी बता दी , गठबंधन का नेतृत्वकरता मान रही, कांग्रेस पार्टी खुश हो गई, खुशी का कारण भी था उत्तर प्रदेश जहां कांग्रेस का बड़ा आधार नहीं, सपा ने काफी सीटें छोड़ने का वादा कर दिया। कांग्रेस नेता यहीं अखिलेश को समझने में भूल कर गए ,वह भूल गए कि यह वही अखिलेश हैं, जो चाचा शिवपाल से वादा तोड़ एक सीट छोड़ने पर तैयार हुए थे, पिता को कुर्सी से उतार अध्यक्ष बन गए थे, उन्होंने इतना बड़ा त्याग कैसे कर दिया, इतने त्यागी कैसे हो गए। कांग्रेस नेताओं को अखिलेश की मनसा बाद में समझ में आई, मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद अखिलेश ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। राजनीति के चतुर खिलाड़ी अखिलेश को पता था , लोकसभा चुनाव बाद में, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव पहले हैं । लोकसभा में बड़ी सीटों का लालच दिखा, मध्य प्रदेश में सपा की जमीन तैयार करने का बढ़िया मौका है। अब तक कांग्रेस नेताओं को समझ आ गया, मध्य प्रदेश जहां सपा शून्य , सपा को सीटें देनी पड़ेगी । कांग्रेस में बैठकों का दौर चला, नेताओं में मंथन हुआ, निर्णय हुआ, सपा को कोई सीट नहीं दी जाएगी, बताया गया मध्य प्रदेश में सपा शून्य है । फिर क्या अखिलेश भड़क गए, निशाना बनाया उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को ,बता दिया चिरकुट ।कांग्रेस अखिलेश को जवाब नहीं दे पा रही, सवाल, भविष्य के गठबंधन का,फिर भी नेता दबी जवान अखिलेश को विकलेश कह अपनी खीज निकाल रहे।