रिपोर्टर रजनीश कुमार
औरैया। यमुना तट स्थित आनंद धाम आश्रम में चल रही आचार्य अंकुश जी महाराज की रामकथा के अंतर्गत बुधवार की शाम अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित हुआ। जिसमें स्थानीय एवं दूर दराज से आये कवियों ने समां बांध दिया। श्रोता रात भर कवि सम्मेलन का लुफ्त उठाते रहे। वहीं तालिया की गड़गड़ाहट के बीच कविगण वाह वाही लूटने रहे। कार्यक्रम की शुरुआत आचार्य अंकुश ने दीप प्रज्वलित कर की।
गाज़ियाबाद की कवियित्री मधुमोहिनी ने सरस्वती वंदना से श्रीगणेश किया। शहर के कवि गोपाल पांडेय ने रण मध्य मरते है याकी मारते है किंतु शत्रु के समक्ष कर जोड़े नही जाते हैं से वाहवाही लूटी। संचालन कर रहे दिल्ली के प्रख्यात कवि प्रवीण शुक्ला ने कोई न था आसपास नेताजी भी थे उदास, चोरी छिपे नेता जी की दुम हुआ चमचा, नेता जी की सभा में जो जूतों की बौछार हुई, गदहे के सींग जैसा गुम हुआ चमचा और अभय निर्भीक ने भारत माता का हरगिज सम्मान नहीं खोने देंगे। अपने पूज्य तिरंगे का अपमान नहीं होने देंगे। लपेटे में नेता जी फेम कवि अजय अंजाम ने-जो सीतापति के सेवक हैं उनका ही विश्व समूचा है, जो राम ध्वजा के नीचे हैं उनका ही झंडा ऊंचा है और कवि कमलेश शर्मा ने वर्जित हो जो पंथ कभी अनुगम्य नहीं होता। जग में अत्याचारी कभी प्रणम्य नहीं होता चाहे कोई भी हो या लाख सफाई दे देशद्रोह तो देशद्रोह है क्षम्य नहीं होता सुनाकर समा बांधा। राजीव राज, गोविंद द्विवेदी, बलराम श्रीवास्तव व डॉ मधु मोहिनी ने भी काव्यपाठ किया। अनिल दीक्षित,अविनाश अग्निहोत्री, रमन पोरवाल, आकांशु दुबे,अंकित,अंशु,आशीष व सैकड़ों श्रोता मौजूद थे।