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बड़े ही धूमधाम से निकाली गई श्री खाटु श्याम जी की झांकी।

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महाकुम्भ 2025 के शुभ अवसर पर ! बड़े-बड़े दुनिया के राजा रोते गए हरिनाम के बिना !

प्रकाशनार्थ-

बड़े-बड़े दुनिया के राजा रोते गए हरिनाम के बिना

महाकुम्भ 2025 के शुभ अवसर पर कुष्ठ आश्रम शिल्पग्राम रोड़ ताजनगरी आगरा में चल‌ रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन शनिवार को कथा वाचिका पं. गरिमा किशोरी जी द्वारा शुकदेव जन्म, परीक्षित श्राप और अमर कथा का वर्णन करते हुए बताया कि “नारद जी के कहने पर पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा कि उनके गले में जो मुंडमाला है वह किसकी है तो भोलेनाथ ने बताया वह मुंड किसी और की नहीं बल्कि स्वयं पार्वती जी की हैं।

हर जन्म में पार्वती जी विभिन्ना रूपों में शिव की पत्नी के रूप में जब भी देह त्याग करती शंकर जी उनके मुंड को अपने गले में धारण कर लेते पार्वती ने हंसते हुए कहा हर जन्म में क्या मैं ही मरती रही, आप क्यों नहीं।शंकर जी ने कहा हमने अमर कथा सुन रखी है पार्वती जी ने कहा मुझे भी वह अमर कथा सुनाइए शंकर जी पार्वती जी को अमर कथा सुनाने लगे। शिव-पार्वती के अलावा सिर्फ एक तोते का अंडा था जो कथा के प्रभाव से फूट गया उसमें से श्री सुखदेव जी  प्राकट्य हुए कथा सुनते सुनते पार्वती जी सो गई वह पूरी कथा श्री सुखदेव जी ने सुनी और अमर हो गए शंकर जी सुखदेव जी के पीछे उन्हें मृत्युदंड देने के लिए दौड़े।

सुखदेव जी भागते भागते व्यास जी के आश्रम में पहुंचे और उनकी पत्नी के मुंह से गर्भ में प्रविष्ट हो गए। 12 वर्ष बाद श्री सुखदेव जी गर्व से बाहर आए इस तरह श्री सुखदेव जी का जन्म हुआ।कथा व्यास जी ने बताया कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं।
कथा व्यास जी उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है। इसके साथ साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है।

क्यों कि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ साथ परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये इत्यादि कथाओं को सभी वृद्धजनों ने बड़े ही श्रद्धा भाव से श्रवण किया।

इस शुभ अवसर पर परीक्षित चंद्रशेखर एवं राधिका,पं अवधेश शास्त्री,समाजसेवी श्याम भोजवानी,सुमन भारद्वाज,डा,सुमन शर्मा,मनोज तीर्थानी, वीरेंद्र प्रसाद यादव, पप्पू यादव, विचित्र साहू , धर्मदेव भगत, खगन महतो,वीरेंद्र पासवान, विजय, साधनपाल, चंद्रशेखर ,चंद्रशेखर नायक, जेहरू टांडिया,
आदि लोग उपस्थित रहे।

रिपोर्ट अखिलेश कुमार आगरा ..

Prashant Yadav
Author: Prashant Yadav

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